चार आश्रम-उनके बारे में क्यों और कैसे

पहेली संख्या 17: चार आश्रम-उनके बारे में क्यों और कैसे सारांश: यह खंड हिन्दू समाज में आश्रम धर्म की अवधारणा में गहराई से उतरता है, जो व्यक्ति के जीवन को चार चरणों में विभाजित करती है:  ब्रह्मचर्य (छात्र जीवन), गृहस्थ (गृहस्थ जीवन), वानप्रस्थ (संन्यासी चरण), और संन्यास (त्यागी जीवन)। वर्ण धर्म के विपरीत, जो समाज… Continue reading चार आश्रम-उनके बारे में क्यों और कैसे

चार वर्ण-क्या ब्राह्मण अपने मूल के प्रति सुनिश्चित हैं?

पहेली संख्या 16: चार वर्ण-क्या ब्राह्मण अपने मूल के प्रति सुनिश्चित हैं? सारांश: यह पहेली हिन्दू समाज में चार वर्णों (जातियों) के मूल के प्रति ब्राह्मणों की निश्चितता की जांच करती है:  ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र। यह ब्राह्मणिक व्याख्याओं में विरोधाभासी कथाओं और एकरूपता की कमी को उजागर करती है, जो वर्ण प्रणाली को… Continue reading चार वर्ण-क्या ब्राह्मण अपने मूल के प्रति सुनिश्चित हैं?

वेदों की अचूकता

परिशिष्ट – V वेदों की अचूकता सारांश: यह खंड वेदों की अचूकता की अवधारणा की खोज करता है, जो उनके अनंत और बिना सवाल के स्वभाव को हिन्दू दर्शन में रेखांकित करने वाले तर्कों और शिक्षाओं को प्रस्तुत करता है। यह धर्म (नैतिक और धार्मिक कर्तव्यों) को परिभाषित करने में वेदों की केंद्रीय भूमिका और… Continue reading वेदों की अचूकता

स्मार्त धर्म

परिशिष्ट – IV स्मार्त धर्म सारांश: यह अनुलग्नक स्मार्त धर्म में गहराई से उतरता है, जो हिन्दू धार्मिक प्रथाओं के कैनोनिकल और विधिक पहलुओं पर केंद्रित है, जैसा कि स्मृतियों या धर्मशास्त्रों में रेखांकित है। ये ग्रंथ शासन और नागरिक कर्तव्यों से लेकर पापों के लिए प्रायश्चित और दंडों तक, विषयों की व्यापक श्रेणी को… Continue reading स्मार्त धर्म

त्रिमूर्ति की पहेली

परिशिष्ट – III त्रिमूर्ति की पहेली सारांश: यह अनुलग्नक हिन्दू त्रिमूर्ति, ब्रह्मा, विष्णु, और शिव (महेश) की जटिल और आकर्षक गतिशीलता में गहराई से उतरता है, और उनकी पूजा को आकार देने वाले ऐतिहासिक, धार्मिक, और सामाजिक-राजनीतिक कारकों का पता लगाता है। मुख्य बिंदु: संप्रदायों का ऐतिहासिक महत्व: हिन्दू समाज में जातियों के अध्ययन पर… Continue reading त्रिमूर्ति की पहेली

वेदांत की पहेली

परिशिष्ट – II वेदांत की पहेली सारांश: यह अनुलग्नक वेदांत दर्शन और वेदों के बीच के जटिल संबंध की खोज करता है, जिसमें हिन्दू विचार में उनकी व्याख्या और महत्व को आकार देने वाले ऐतिहासिक और दार्शनिक बारीकियों पर प्रकाश डाला गया है। मुख्य बिंदु: वेदांत की प्रतिष्ठा और गलतफहमियाँ: वेदांत हिन्दू दर्शनों में अपने… Continue reading वेदांत की पहेली

वेदों की पहेली

परिशिष्ट – I वेदों की पहेली सारांश: यह अनुलग्नक वेदों के आसपास के बहुआयामी प्रश्नों, जैसे कि उनकी उत्पत्ति, लेखन, और अधिकार की जटिल कथाओं और सिद्धांतों को उधेड़ने का प्रयास करता है। मुख्य बिंदु: वेदों की उत्पत्ति: हिन्दू धर्मग्रंथों के विभिन्न स्रोत वेदों की उत्पत्ति के विभिन्न खाते प्रदान करते हैं। उन्हें अनादि और… Continue reading वेदों की पहेली

अहिंसा से हिंसा की ओर

पहेली संख्या 14: अहिंसा से हिंसा की ओर सारांश: यह पहेली हिन्दू धर्म के कुछ संप्रदायों में अहिंसा (अहिंसा) के सिद्धांत से हिंसा (हिंसा) की प्रथाओं की ओर संक्रमण का पता लगाती है, विशेष रूप से तांत्रिक पूजा और उसके अनुष्ठानों के लेंस के माध्यम से। यह अहिंसा पर जोर देने वाली प्रारंभिक वैदिक प्रथाओं… Continue reading अहिंसा से हिंसा की ओर

अहिंसा की पहेली

पहेली संख्या 13: अहिंसा की पहेली सारांश: यह पहेली हिन्दू समाज में प्राचीन वैदिक प्रथाओं से, जैसे कि पशु बलि, जुआ, और सोमा (एक अनुष्ठानिक पेय) का सेवन, अहिंसा (अहिंसा) के मूल सिद्धांत के रूप में अपनाने तक के गहन परिवर्तन में गहराई से उतरती है। मुख्य बिंदु: सामाजिक प्रथाओं में परिवर्तन: प्राचीन आर्यों को… Continue reading अहिंसा की पहेली

ब्राह्मणों ने देवताओं को सिंहासन से हटाकर देवियों को क्यों सिंहासनारूढ़ किया?

पहेली संख्या 12: ब्राह्मणों ने देवताओं को सिंहासन से हटाकर देवियों को क्यों सिंहासनारूढ़ किया? सारांश: यह पहेली हिन्दू धर्म के उस अनूठे पहलू का पता लगाती है जहाँ देवताओं के साथ-साथ देवियाँ भी महत्वपूर्ण शक्ति और सम्मान रखती हैं, जो अन्य धर्मों से एक विशिष्ट विचलन है जहाँ दिव्य स्त्रीत्व इतना प्रमुखता से मनाया… Continue reading ब्राह्मणों ने देवताओं को सिंहासन से हटाकर देवियों को क्यों सिंहासनारूढ़ किया?