भाषाई राज्य के प्रोस और कॉन्स

भाग II भाषावाद की सीमाएँ अध्याय III : भाषाई राज्य के प्रोस और कॉन्स सारांश डॉ. बी.आर. अंबेडकर की “भाषाई राज्यों पर विचार” अध्याय III भारतीय संघवाद के संदर्भ में भाषाई राज्यों की अवधारणा की महत्वपूर्ण जाँच करता है, उनकी आवश्यकता और संभावित खतरों को तर्कसंगत बताता है। वे “एक राज्य, एक भाषा” के सिद्धांत… Continue reading भाषाई राज्य के प्रोस और कॉन्स