अध्याय IX: विदेशों से सबक सारांश यह अध्याय तुर्की और चेकोस्लोवाकिया के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्यों का पता लगाता है ताकि राष्ट्रवाद के प्रभावशाली प्रभाव और इसके भारत के लिए संभावित परिणामों को उजागर किया जा सके। डॉ. अम्बेडकर इन अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों का उपयोग करते हुए भारतीय संदर्भ के लिए समानताएं खींचते हैं और पाकिस्तान की मांग… Continue reading विदेशों से सबक