The Untouchables and the Pax Britannica अछूत और पैक्स ब्रिटानिका विषय-सूची प्रस्तावना परिचय ऐतिहासिक अन्वेषण और विजय भारत पर ब्रिटिश विजय सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषण शैक्षिक नीतियाँ और सुधार समकालीन निहितार्थ और विश्लेषण सारांश परिशिष्ट
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राजनीतिक दमन की समस्या
The Problem of Political Suppression राजनीतिक दमन की समस्या सारांश यह दस्तावेज़ भारत में राजनीतिक प्रतिनिधित्व और स्वतंत्रता के विकास पर चर्चा करता है, 1892 के बाद से लोकप्रिय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के क्रमिक परिचय और बाद के वर्षों में इसके विस्तार पर केंद्रित है। यह प्रारंभिक सुधारों की सीमाओं को उजागर करता है, जैसे… Continue reading राजनीतिक दमन की समस्या
भारतीय मुद्रा में वर्तमान समस्या – II
The Present Problem in Indian Currency – II भारतीय मुद्रा में वर्तमान समस्या – II सारांश यह पाठ भारतीय मुद्रा के स्थिरीकरण से संबंधित समस्या का विस्तृत विश्लेषण है, जिसमें दो विनिमय अनुपातों के बीच निर्णय लेने पर विशेष ध्यान दिया गया है: 2 शिलिंग बनाम 1 शिलिंग और 4 पेंस। यह रुपये की खरीदने… Continue reading भारतीय मुद्रा में वर्तमान समस्या – II
भारतीय मुद्रा में वर्तमान समस्या – I
The Present Problem in Indian Currency – I भारतीय मुद्रा में वर्तमान समस्या – I सारांश “द सर्वेंट ऑफ इंडिया” दिनांक अप्रैल 1, 1925 से “भारतीय मुद्रा में वर्तमान समस्या” शीर्षक लेख, प्रथम विश्व युद्ध के बाद भारतीय मुद्रा के स्थिरीकरण और इसके विनिमय अनुपात के आसपास के विवाद की चर्चा करता है। मुख्य बहस… Continue reading भारतीय मुद्रा में वर्तमान समस्या – I
बदलाव की समीक्षा
अध्याय 12 – बदलाव की समीक्षा इस अध्याय में 1919 के भारत सरकार अधिनियम के तहत वित्तीय पुनर्गठन की जांच की गई है, जिसमें ब्रिटिश भारत की वित्तीय और प्रशासनिक आवश्यकताओं को संबोधित करने में इसके प्रभाव और प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया है। यहाँ एक संरचित अवलोकन दिया गया है: सारांश डॉ. अम्बेडकर ने… Continue reading बदलाव की समीक्षा
बदलाव का स्वरूप
अध्याय 11 – बदलाव का स्वरूप यह अध्याय ब्रिटिश भारत के राजनीतिक और प्रशासनिक विकास द्वारा आवश्यक बनाए गए शासन और वित्त में महत्वपूर्ण परिवर्तनों का परीक्षण करता है, जो मॉन्टेग-चेम्सफोर्ड सुधारों के पूर्व और उसके बाद हुआ। यहां अनुरोधित प्रारूप में एक संरचित सारांश दिया गया है: सारांश यह खंड ब्रिटिश भारत के शासन… Continue reading बदलाव का स्वरूप
प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता
भाग IV – 1919 के भारत सरकार अधिनियम के तहत प्रांतीय वित्त अध्याय 10 – प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता यह अध्याय ब्रिटिश भारत में शासन और वित्तीय प्रबंधन की मौजूदा संरचना में परिवर्तन की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर गहराई से विचार करता है, जिससे अधिक समावेशी और जिम्मेदार शासन के लिए मार्ग प्रशस्त होता है।… Continue reading प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता
प्रांतीय वित्त के क्षेत्र का विस्तार
अध्याय 9 – प्रांतीय वित्त के क्षेत्र का विस्तार इस अध्याय में ब्रिटिश भारत में प्रांतीय सरकारों की वित्तीय स्वायत्तता और क्षमताओं का विस्तार करने के प्रयासों और उपायों का समीक्षात्मक आकलन किया गया है। नीचे सारांश, मुख्य बिंदु, और निष्कर्ष है: सारांश डॉ. अम्बेडकर प्रांतीय वित्त के दायरे को विस्तारित करने के लिए उद्देश्य… Continue reading प्रांतीय वित्त के क्षेत्र का विस्तार
प्रांतीय वित्त का स्वरूप
अध्याय 8 – प्रांतीय वित्त का स्वरूप यह अध्याय ब्रिटिश भारत में केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों के बीच वित्तीय गतिशीलता की अंतर्दृष्टिपूर्ण जांच प्रदान करता है। यहाँ सारांश, मुख्य बिंदु, और निष्कर्ष है: सारांश यह खंड प्रांतीय वित्त की जटिल प्रकृति की जांच करता है, केंद्रीय सरकार से इसकी स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता के पूर्वकल्पित विचारों… Continue reading प्रांतीय वित्त का स्वरूप
प्रांतीय वित्त की सीमाएं
भाग III – प्रांतीय वित्त: इसकी तंत्र अध्याय 7 – प्रांतीय वित्त की सीमाएं इस अध्याय में ब्रिटिश भारत में प्रांतीय सरकारों की वित्तीय स्वायत्तता और शक्तियों पर लगाए गए व्यवस्थागत प्रतिबंधों की गहन आलोचना और विश्लेषण की गई है। नीचे अनुरोधित प्रारूप में एक विभाजन दिया गया है: सारांश इस खंड में ब्रिटिश भारत… Continue reading प्रांतीय वित्त की सीमाएं