भाषाई राज्यों पर विचार प्रस्तावना सारांश “भाषाई राज्यों पर विचार” की प्रस्तावना में, डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने भारत में भाषाई राज्यों के निर्माण के विवादास्पद मुद्दे को संबोधित किया है। वे इस संबंधित बहस में भाग न लेने के लिए बीमारी के कारण खेद व्यक्त करते हैं, लेकिन मुद्दे की महत्वपूर्णता पर जोर देते हैं।… Continue reading प्रस्तावना
Author: jitendra lakhiwal
भाषाई राज्यों पर विचार
Thoughts on Linguistic States भाषाई राज्यों पर विचार विषय-सूची प्रस्तावना भाग I आयोग का कार्य अध्याय I : केवल भाषावाद और कुछ नहीं अध्याय 2 : भाषावाद की उत्कृष्टता भाग II भाषावाद की सीमाएँ अध्याय III : भाषाई राज्य के पक्ष और विपक्ष अध्याय IV : क्या एक भाषा के लिए एक ही राज्य होना… Continue reading भाषाई राज्यों पर विचार
टूटे हुए लोग कब अछूत बने?
अध्याय – 16 – टूटे हुए लोग कब अछूत बने? डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की “द अनटचेबल्स: व्हो वेर दे एंड व्हाई दे बिकेम अनटचेबल्स?” से “टूटे हुए लोग कब अछूत बने?” अध्याय भारतीय समाज में कुछ समूहों के अछूतों में परिवर्तन के ऐतिहासिक परिवर्तन को गहराई से देखता है। यहाँ अध्याय के मुख्य पहलुओं के… Continue reading टूटे हुए लोग कब अछूत बने?
अशुद्ध और अछूत
भाग VI: अछूतता और इसकी जन्म तिथि अध्याय – 15 – अशुद्ध और अछूत आपके द्वारा अपलोड किए गए विभिन्न स्रोतों में प्रदान की गई वेदों की उत्पत्ति के संबंध में व्याख्याएं, जिनमें वेद स्वयं, ब्राह्मण, उपनिषद, स्मृतियाँ, और पुराण शामिल हैं, मिथकीय और दार्शनिक उत्पत्ति की एक श्रृंखला की पेशकश करती हैं जो हिंदू… Continue reading अशुद्ध और अछूत
गोमांस खाने से टूटे हुए लोग अछूत क्यों बनें?
अध्याय – 14 – गोमांस खाने से टूटे हुए लोग अछूत क्यों बनें? डॉ. बी.आर. अम्बेडकर द्वारा लिखित पुस्तक “द अनटचेबल्स: व्हो वेयर दे एंड व्हाई दे बेकम अनटचेबल्स?” में “गोमांस खाने से टूटे हुए लोग अछूत क्यों बनें?” नामक अध्याय, विशेष रूप से गोमांस के सेवन को एक केंद्रीय कारक के रूप में मानते… Continue reading गोमांस खाने से टूटे हुए लोग अछूत क्यों बनें?
ब्राह्मण शाकाहारी क्यों बने?
अध्याय – 13 – ब्राह्मण शाकाहारी क्यों बने? “द अनटचेबल्स: व्हो वेयर दे एंड व्हाय दे बिकेम अनटचेबल्स?” में “ब्राह्मण शाकाहारी क्यों बने?” नामक अध्याय डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा हिन्दू सामाजिक और धार्मिक ताने-बाने में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में ब्राह्मणों के बीच शाकाहारी बनने के लिए अपनाये गए ऐतिहासिक और सामाजिक कारकों में… Continue reading ब्राह्मण शाकाहारी क्यों बने?
गैर-ब्राह्मणों ने गोमांस क्यों छोड़ा?
अध्याय – 12 – गैर-ब्राह्मणों ने गोमांस क्यों छोड़ा? “गैर-ब्राह्मणों ने गोमांस क्यों छोड़ा?” पर अध्याय भारतीय समुदायों में आहार प्रथाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन के पीछे के ऐतिहासिक, धार्मिक, और सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं की गहराई में जाता है, विशेष रूप से गैर-ब्राह्मण समूहों द्वारा गोमांस के उपभोग की त्याग पर केंद्रित होकर। यह परिवर्तन केवल आहार… Continue reading गैर-ब्राह्मणों ने गोमांस क्यों छोड़ा?
क्या हिन्दू कभी गोमांस नहीं खाते थे?
भाग V: नए सिद्धांत और कुछ कठिन प्रश्न अध्याय – 11 – क्या हिन्दू कभी गोमांस नहीं खाते थे? वेदों की उत्पत्ति, उनका महत्व, और हिन्दू धर्म में उनके पूजनीय स्थान के पीछे के कारणों की पेचीदा और बहुमुखी कथा है जिसे हजारों वर्षों में विभिन्न ग्रंथों के माध्यम से व्याख्यायित और पुनः व्याख्यायित किया… Continue reading क्या हिन्दू कभी गोमांस नहीं खाते थे?
अस्पृश्यता के मूल में गोमांस खाना
अध्याय – 10- अस्पृश्यता के मूल में गोमांस खाना सारांश अध्याय 10 भारत में ऐतिहासिक आहार प्रथाओं की गहराई में जाता है, यह तर्क देता है कि गोमांस खाने ने सामाजिक संरचना को आकार देने में, विशेष रूप से अस्पृश्यता में, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेखक का कहना है कि अस्पृश्यता का आगमन भारत में… Continue reading अस्पृश्यता के मूल में गोमांस खाना
बौद्ध धर्म के प्रति अवमानना, अस्पृश्यता की जड़
भाग IV: अस्पृश्यता की उत्पत्ति के नए सिद्धांत अध्याय – 9 – बौद्ध धर्म के प्रति अवमानना, अस्पृश्यता की जड़ “द अनटचेबल्स: वे कौन थे और वे अस्पृश्य क्यों बने?” से “बौद्ध धर्म के प्रति अवमानना, अस्पृश्यता की जड़” अध्याय, भारतीय समाज में अस्पृश्यता की उत्पत्ति और इसके स्थायित्व पर एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता… Continue reading बौद्ध धर्म के प्रति अवमानना, अस्पृश्यता की जड़